सतत विकास (Sustainable Development) की अवधारणा का प्रारंभ वर्ष 1962 में वैज्ञानिक रचेल कार्सन की पुस्तक "साइलेंट स्प्रिंग" तथा वर्ष 1986 में जीव विज्ञानी पॉल इरलिच की पुस्तक "द पापुलेशन बम" से हुआ। लेकिन इस शब्द का वास्तविक रूप से विकास वर्ष 1987 में "ब्रुटलैंड आयोग" की रिपोर्ट "हमारा साझा भविष्य" (Our Common Future) के प्रकाशन के साथ हुआ। "सतत विकास" संसाधनों के उपयोग का एक आदर्श मॉडल है जो यह बताता है कि आर्थिक विकास के साथ -साथ पर्यावरण को भी सुरक्षित रखना है। इसका उद्देश्य है - वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखते हुए उसका इस प्रकार प्रयोग किया जाए कि प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण न्यूनतम हो।
अतः सतत विकास प्रकृतिक उपयोग के संदर्भ में अंतर - पीढ़ीगत संवेदनशीलता की घटना है।
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