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Thursday, 21 December 2017

यूपी लोअर पीसीएस मुख्य परीक्षा 2015 का परीक्षा परिणाम घोषित, साक्षात्कार के लिए 2112 अभ्यर्थियों का चयन


सम्मिलित अवर अधीनस्थ सेवा (सामान्य व विशेष चयन) यानी लोअर पीसीएस की मुख्य परीक्षा 2015 का परीक्षा परिणाम घोषित हो गया है, उप्र लोकसेवा आयोग ने परीक्षाफल कार्यालय के नोटिस बोर्ड और वेबसाइट पर अपलोड करा दिया है, *इसमें 2113 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए सफल हुए हैं,* अभ्यर्थी उसे देख सकते हैं, साक्षात्कार चार जनवरी से होंगे, इसका कार्यक्रम अलग से जल्द ही जारी किया जाएगा। 
*आयोग ने इस परीक्षा का विज्ञापन तीन सितंबर 2015 को जारी किया था, मुख्य परीक्षा बीते वर्ष 24 अप्रैल को लखनऊ व इलाहाबाद के केंद्रों पर हुई थी, इसमें 10 हजार 610 अभ्यर्थी शामिल हुए थे, आयोग के सचिव जगदीश ने बताया कि* सामान्य चयन के 616 व विशेष चयन के 19 पदों सहित कुल 635 रिक्तियों के लिए 2113 अभ्यर्थी विभिन्न ग्रुपों से साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किए गए हैं, इन अभ्यर्थियों का इंटरव्यू चार जनवरी से होगा, इसकी विस्तृत सूचना तारीख व अनुक्रमांकवार अलग से जल्द ही जारी की जाएगी, सचिव ने बताया कि मुख्य परीक्षा के रिजल्ट को आयोग के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया गया है, साथ ही वह आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।

Wednesday, 22 November 2017

7 फरवरी 2018 को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा जारी होने वाले सिविल सेवा परीक्षा नोटीफिकेशन के संबंध में छात्रों की माँग

सिविल सेवा की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों में रोष अपने चरम स्तर पर पहुंच गया है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की मनमानी, सरकार के ढुलमुल रवैये और कोर्ट की लम्बी कार्यवाही से उकताए छात्र सड़क पर उतरने को तैयार हैं। आगामी 26 नवम्बर को छात्रों ने अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखने के लिए भाजपा सांसद वरूण गाँधी को आमंत्रित किया है।

सिविल सेवा प्रतियोगी छात्रों की माँग है कि 7 फरवरी 2018 को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा जारी होने वाले सिविल सेवा परीक्षा नोटीफिकेशन में निम्नलिखित बातें शामिल की जाएं;

1. वर्ष 2011-14 के मध्य UPSC द्वारा आयोजित भेदभावपूर्ण सीसैट (CSAT) परीक्षा के भुक्तभोगी प्रतियोगी छात्रों को न्यूनतम 2 अतिरिक्त प्रयास दिया जाए।

2. वर्ष 2017 में आयोजित सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा में यूपीएससी द्वारा बनाए गये गलत व संदिग्ध प्रश्नों के कारण प्रभावित छात्रों को न्यूनतम 1 अतिरिक्त प्रयास दिया जाए।

3. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार के दिनाँक 14/07/1988 को निर्गत परिप‌‍‍त्र No.AB.14017/70/87-Estt.(RR) शीर्षक "Crucial date for determining age limits for competitive examinations conducted in parts by the UPSC/SSC" को संशोधित करते हुए सभी वर्ग के अभ्यर्थियों की भर्ती के लिए आयु सीमा निर्धारित करने की अधिकतम निर्णायक तारीख 1 अगस्त से हटाकर 1 जनवरी की जाए ताकि अधिकतम आयु में मात्र कुछ दिनों या महीनों के अंतर होने के कारण से कोई भी अभ्यर्थी सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित न रह जाए।

4. आयु निर्धारण का आधार प्रारम्भिक परीक्षा होनी चाहिए नाकि मुख्य परीक्षा।

5. सिविल सेवा परीक्षा के सभी चरणों को पारदर्शी बनाने के लिए निम्नलिखित आवश्यक बिंदु  सम्मिलित किए जाएं-

अ. सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा में सम्मिलित छात्रों को अपनी OMR उत्तर शीट की कार्बन कापी ले जाने का प्रबंध किया जाए।

ब. सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा की समाप्ति के सप्ताहांत परीक्षा की उत्तर कुंजी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध करायी जाए।

स. सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा के माडल उत्तर आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध करायी जाए। एवं मुख्य परीक्षा की उत्तर-पुस्तिका उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPCS) के मॉडल पर दिखाए जाने की व्यवस्था की जाए।

द. साक्षात्कार में ग्रामीण एवं साधारण आय वर्ग व भाषाई स्तर के छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाएं।

छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को जल्द ही कदम उठाने होंगे। मीडिया में आ रही इस खबर से कि सरकार अधिकतम आयु सीमा में कटौती कर सकती है  मुखर्जी नगर और राजेंद्र नगर में रह रहेे हजारों छात्र और उनके परिवार में असंतोष काफी बढ़ गया है।

Friday, 3 November 2017

सिविल सेवा प्रतियोगी छात्रों के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल हों पीड़ित छात्र : रमन संधू

संघर्षरत सिविल सेवा प्रतियोगी छात्रों के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली चण्डीगढ़ निवासी सुश्री रमन संधू ने हिन्दी आईएसबाबा http://hindiiasbaba.blogspot.in को बताया है कि सिविल सेवा प्रतियोगी छात्रों जिनमें से अधिकांशतः ग्रामीण एवं हिन्दी सहित दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं के पृष्ठभूमि के छात्रों के साथ सभी सरकारों ने अन्याय किया है।  जहाँ एक ओर 2011-14 तक प्रारम्भिक परीक्षा में सीसैट के माध्यम से मानविकी एवं गरीब परिवारों के छात्रों को सिविल सेवा से दूर रखा गया, वहीं वर्ष 2015 व 2016 में हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाई माध्यम से पढ़ रहे प्रतियोगी छात्रों को मुख्य परीक्षा और फिर साक्षात्कार में तुलनात्मक रूप से कम अंक दिए गये। इसी क्रम में वर्ष 2017 की सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा में सीसैट के पेपर को गलत तरीके से कठिन बनाया गया वहीं सामान्य अध्ययन परीक्षा में 4-8 प्रश्न ऐसे पूछे गये हैं जो या तो गलत थे या फिर उनके एक से अधिक सही जवाब हो सकते हैं।
सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में रमन संधू ने प्रतियोगी छात्रों को 7 नवम्बर को आगामी शीतकालीन संसद सत्र से पहले होने वाले राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल होते हुए अपील की है कि देश की राजधानी सहित राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन के लिए भी छात्र तैयार रहें।

Thursday, 7 September 2017

*Swaraj India supports the demand for greater transparency in UPSC*

NEW DELHI, Sep 7, 2016:

The newly formed political party Swaraj India has expressed disappointment at the refusal by the Union Public Service Commission (UPSC) to uphold high standards of transparency expected of this constitutional authority. It has extended support to the demand of a group of Civil Service aspirants to release the answer key immediately upon the completion of Preliminary Examination, as is the practice in some of the leading competitive examinations and among various state public service commissions.

Currently, the UPSC does not release the answer key for the Civil Service Preliminary Examination until all the three stages of the examination are completed, which effectively means that they release the answer keys after more than a year. By then, students have even finished writing the next year’s preliminary exam, thereby rendering the answer keys of the previous year’s exam irrelevant. Preliminary exam is of qualifying nature only and is thus a stand-alone exam to that extent. The marks of this stage has no effect whatsoever on the final merit of the UPSC Civil Services Examination. Clearly, holding up its answers or marks obtained by successful/unsuccessful candidates defies any rational basis.

It is particularly disappointing that despite a strict CIC ruling against this illogical practice of UPSC in the Mrunal case (File No: CIC/SM/answer 2012/001599), the commission continues to block any attempt to usher transparency.UPSC has claimed that “by divulging the information about the preliminary stage of examination before completion of the entire civil services examination (all three stages) could adversely affect the entire process on account of frivolous objections/representation from the unsuccessful candidates at the intermediary stage.”

This lack of transparency is significant, since many aspiring students have often asked troubling questions about the formulation of questions/answer keys. This year too, there have been many questions about the General Studies Paper-1 in the Civil Services (Prelims) Exam that had at least 4 ambiguous questions The UPSC has not bothered to acknowledge any goof-up in the exam let alone rectifying them or releasing any public clarifications thereof. The hapless students who have been wrongfully excluded are thereby left with no other option than to either suffer in silence or move the Court to seek justice.

Swaraj India National President Yogendra Yadav said, "Union Public Service Commission carries with it a mandate under Article 320(1) of the Constitution. Duty to conduct examinations, itself implies a duty to conduct them in a fair and transparent manner." 

Demanding a change in the culture of opacity at UPSC, party's Chief National Spokesperson Anupam said, "If other State Public Service Commissions are releasing the answer keys before Mains examination and are inviting objections/challenges against the answer key, what stops UPSC from following the same procedure? Why does UPSC hold the attitude that every objection or representation against them is frivolous and not genuine?"

He said that Swaraj India will take up the issue of lack of transparency in UPSC exams if the commission or the ruling government fails to address the genuine concerns of student community.

संघ लोक सेवा आयोग में पारदर्शिता की माँग का स्वराज इंडिया ने किया समर्थन

*स्वराज इंडिया*
*प्रेस नोट- 7 सितंबर 2017*

नई दिल्ली, 31 अगस्त 2016: नवगठित राजनीतिक पार्टी स्वराज इंडिया ने संघ लोक सेवा आयोग जैसे संवैधानिक संस्थान द्वारा पारदर्शिता के मानकों पर खरा नहीं उतरने पर अफ़सोस जताई है। पार्टी ने सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों की इस माँग का समर्थन किया है कि प्रारंभिक परीक्षा के समापन के तुरंत बाद उत्तर कुंजी सार्वजनिक की जाए, जैसा कि अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं और राज्य लोक सेवा आयोग भी पालन कर रहे हैं।

संघ लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा के लिए उत्तर कुंजी तब तक जारी नहीं करती है जब तक कि तीनों चरण की परीक्षा पूरी न हो जाये। जिसका नतीजा यह होता है कि उत्तर कुंजी जारी होते होते एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका होता है। मतलब उत्तर कुंजी तब मिलती है जब छात्रों ने अगले साल की प्रारंभिक परीक्षा भी लिख ली होती है। अकारण ऐसा विलंब उत्तर कुंजी को ही अप्रासंगिक बना देता है। यह भी बता दें कि प्रारंभिक परीक्षा में मिले अंकों का अंतिम वरीयता सूची में योगदान नहीं है इसलिए प्रतियोगियों के अंक या उत्तर कुंजी को रोक के रखने का कोई तर्क नहीं है।

आयोग की इस परंपरा के ख़िलाफ़ सीआईसी ने मृणाल मामले (फाइल नं: सीआईसी/एसएम/उत्तर 2012/001599) में एक कड़ा फ़ैसला सुनाया था। इसके बावजूद संघ लोक सेवा आयोग ने पारदर्शिता बहाल करने की कोशिशों पर रोक लगा रखी है। आयोग का कहना है कि "सिविल सेवा परीक्षा की सम्पूर्ण प्रक्रिया (सभी तीन चरणों) पूरी होने से पहले परीक्षा के प्रारंभिक चरण के बारे में जानकारी देने से, पूरी प्रक्रिया प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकती है।"

पारदर्शिता की यह कमी चिंताजनक है क्यूंकि कई प्रतियोगी छात्रों ने प्रश्न या उत्तर कुंजी के संबंध में सवाल किए हैं। इस साल भी, प्रारंभिक परीक्षा के जनरल स्टडीज़ पेपर 1 में कम से कम चार ऐसे प्रश्न थे जिनके उत्तर स्पष्ट नहीं हैं। किसी तरह की गलती को ठीक करना तो दूर, संघ लोक सेवा आयोग ने माना ही नहीं है कि कोई सवाल भी है। इसलिए जिन छात्रों को इसके कारण परीक्षा की प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा, उनके पास चुप चाप अन्याय झेलने या अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

छात्रों के कई मुहीम का नेतृत्व कर चुके स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, "संघ लोक सेवा आयोग को परीक्षा आयोजित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 320 (1) के तहत जनादेश मिला है। इस अनुच्छेद के अनुसार यूपीएससी का यह भी कर्तव्य है कि परीक्षाओं का संचालन एक ईमानदार और पारदर्शी तरीके से हो।"

यूपीसीसी परीक्षाओं में पारदर्शिता की घोर कमी बताते हुए पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने इस संस्कृति में बदलाव की मांग की है। उन्होंने कहा, "अगर भारत के अन्य राज्यों के लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा से पहले उत्तर कुंजी और उत्तर कुंजी पर आपत्ति स्वीकार कर सकते हैं, तो  यूपीएससी इस प्रक्रिया का पालन करने से क्यों पीछे हट रही है? आयोग ऐसा क्यों सोचता है कि उनके खिलाफ हर आपत्ति या सवाल ही ग़लत या बचकाना है? आयोग के ऐसे तौर तरीके सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता या विश्वसनीयता के सिद्धांतों के खिलाफ है।"

अनुपम ने बताया कि केंद्र सरकार यदि छात्रों की इन वाजिब मांगों पर सुनवाई नहीं करती है तो स्वराज इंडिया संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में पारदर्शिता की कमी का मुद्दा मजबूती से उठाएगी।

Wednesday, 6 September 2017

प्रतियोगी छात्रों के भविष्य से खेल रही यूपीएससी (Ambiguity in UPSC Civil Services Preliminary Examination 2017 affected thousands of aspirants)

यूपीएससी द्वारा इस बार 18 जून को आयोजित की गई सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा 2017 के जनरल स्टडीज पेपर में 8-10 ऐम्बिग्यूअस (अस्पष्ट) प्रश्न पूछे गये हैं।

यहां ऐम्बिग्यूअस प्रश्न से मतलब है कि जिस प्रश्न की बनावट के कारण उसके कई उत्तर संभव हो जाएं। सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा में ऐसे बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं जिसमें चार विकल्प दिए जाते हैं और स्वाभाविक रूप से उनमें से एक विकल्प प्रश्न का सही जवाब होता है। पर ऐम्बग्यूइटी के कारण कई प्रश्नों में एक के बजाय दो-दो जवाब सही हो गये हैं।

यूं तो यूपीएससी के लिए ऐम्बग्यूइटी वाले सवाल पूछना कोई नई बात नहीं है। हर साल ही कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं. लेकिन इस साल ऐम्बिग्यूअस प्रश्नों की संख्या पिछले सालों की तुलना में ज्यादा रही और हद तो तब हो गई जब एक प्रश्न अत्याधिक घनघोर ऐम्बग्यूइटी वाला पूछ लिया गया। इतना ज्यादा ऐम्बिग्यूअस कि उस प्रश्न पर नामचीन इतिहासकारों में मतभेद हैं।

इस बार प्रीलिम्स के पेपर में ऐसे कम से कम 8 -10  सवाल पूछे गए। ऐसे में प्रीलिम्स में सेलेक्ट होना प्रतिभा से ज्यादा तो भाग्य पर निर्भर होता दिख रहा है  जोकि  छात्रों के साथ सरासर अन्याय है।

Demand for Transparency in UPSC

Demand for Transparency in UPSC at all levels, including;

1. Release Answer Key of Pre before Main examination

2. Justice to victims of Ambiguity in CSE Pre 2017 (compensatory attempt in 2018, irrespective of age)

3. Justice to victims of CSAT (minimum 2 compensatory attempt to aspirants appeared between 2011-2015)

4. Equality to Regional Languages at par with English

5. One Nation, One Age Group for individual categories (if upper age limit for general category aspirants is 37 for domicile of J&K, then why 32 for rest of the country ?)

6. Age calculation from 1st January, instead of current practice of calculating age from 1st July

7. Transparency in Main examination w.r.t scaling, biasness towards particular subjects

8. Unbiased Personal Interview so that aspirants from rural and middle class background couldn't get eliminated in final selection because of elitist outlook of interview panel

9. Mechanism to educate aspirants about preparation of CSE so that they couldn't get exploited by mushrooming coaching institutes

10. Independent expert committee to review entire selection process to minimise bureaucratic interferences in selection process (there are instances that 3-4 members of a single family get selected in All India Services, while aspirants of poor/middle class background were given lowest marks in interview and thus they were either eliminated in interview or couldn't get selected for IAS/IPS/IFS and other esteemed services.

#UPSCStopInjustice
#TransparencyInUPSC #AmbiguityInUPSCprelims2017
#SIR Students for Institutional Reforms

सिविल सेवा प्रिलिम्स परीक्षा में निगेटिव मार्किंग का असर

Impact of Negative Marking in Civil Services Preliminary Examination

सिविल सेवा परीक्षा के प्रिलिम्स में दो पेपर होते हैं। हर पेपर 200 नंबरों का होता है। लेकिन दूसरा पेपर केवल क्वालीफाइंग होता है। इसका मतलब है कि मेरिट बनती है केवल 200 नंबरों पर।

दो साल से कटऑफ लगभग 110 के आस-पास रहती रही है। परीक्षा में प्रतिस्पर्धा के स्तर का अंदाजा आप इस तथ्य से लगा सकते हैं कि प्रीलिम्स में सेलेक्ट होने वाले लगभग आधे बच्चे कटऑफ से 10 नंबर के दायरे में ही रहते हैं। एक प्रश्न होता है दो नंबर का और गलत होने पर नेगेटिव मार्किंग होती है एक तिहाई। इसका मतलब है कि एक प्रश्न गलत होने पर छात्र के 2.67 नंबर कट जाएंगे। यानी कि एक प्रश्न का हेर-फेर लगभग 15% (क्योंकि कटऑफ के पास सघनता और ज्यादा होती है) और दो प्रश्नों का हेर-फेर 25% पोटेंशियल उम्मीदवारों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिये काफी है।

18 सितम्बर 2019 करेंट अफेयर्स - एक पंक्ति का ज्ञान One Liner Current Affairs

दिन विशेष विश्व बांस दिवस -  18 सितंबर रक्षा 16 सितंबर 2019 को Su-30 MKI द्वारा हवा से हवा में मार सकने वाले इस प्रक्षेपास्त्र का सफल परी...