भारत में घरों के भीतर वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2015 में 1.24 लाख लोगों की असामयिक मौत हुई। घरों में वायु प्रदूषण के कारण हुई इन मौतों की संख्या कोयला बिजली संयंत्रों या अन्य औद्योगिक स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन के कारण हुई मौतों से अधिक है। भारतीय घरों में खासकर ग्रामीण इलाकों में भोजन बनाने के लिए ईंधन के रूप में लकड़ी या गोबर का इस्तेमाल और धुआं निकलने के लिए पर्याप्त साधन न होने के कारण वायु की गुणवत्ता घातक है।
देश में अल्ट्राफाइन पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 की मौजूदगी के कारण वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2015 में 5,24,680 लोगों की असामयिक मौत हुई और इन मौतों का सबसे बड़ा कारण घरों के भीतर वायु प्रदूषण है जिसके कारण 1,24,207 लोगों की असामयिक मौत हुई। अन्य स्रोतों में, कोयला बिजली संयंत्रों, परिवहन और उद्योगों के उत्सर्जन के कारण क्रमश: 80,368 लोगों, 88,091 लोगों और 1,24,207 लोगों की मौत हुई।
9,66,793 लोगों की असामयिक मौत के साथ चीन इस मामले में वर्ष 2015 में टॉप पर रहा लेकिन उसके मामले में इन मौतों का सबसे बड़ा कारण औद्योगिक स्रोतों से होने वाला प्रदूषण है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों की वजह से भी हवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है इसलिए इस दिशा में नीतियां बनानी होंगी। स्वच्छ ईंधन और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के दोहरे फ़ायदे होंगे। इससे घरों के वायु प्रदषण में कमी आएगी और पुराने ईंधनों के हटने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटेगा।
स्रोत - चिकित्सा सुप्रसिद्ध पत्रिका लैन्सेट में प्रकाशित द लैन्सेट काउंटडाउन: ट्रैकिंग प्रोग्रेस ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेंट चेंज रिपोर्ट