केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र को वर्ष 2018 को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव भेजा है। यदि प्रस्ताव पर सहमति होती है, तो इससे उपभोक्ताओं, नीति निर्माताओं, उद्योग और अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र में कदन्न के बारे में जागरूकता आएगी।
लाभ:
वैश्विक स्तर पर गहन प्रयासों के माध्यम से कदन्न के उत्पादन और खपत को बढ़ावा दिए जाने से अंतत: जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने और भूख से सार्थक ढंग से निपटने में सहायता मिल सकती है। कदन्न को लोकप्रिय बनाने से किसानों की भावी पीढ़ियां और उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।
वर्गीकरण:
आम तौर पर कदन्न को छोटे बीज वाली घास के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जिसे प्राय: पोषक तत्व वाले अनाजों अथवा शुष्क भूमि-अनाज का नाम दिया जाता है, और इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, छोटे कदन्न, फॉक्सटेल कदन्न, प्रोसो कदन्न, बार्नियार्ड कदन्न, कोदो कदन्न और अन्य कदन्न शामिल हैं।कदन्न, मोटापा, मधुमेह और जीवनशैली समस्याओं जैसे स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में सहायता कर सकता है क्योंकि वे लस मुक्त हैं, उसमें कम ग्लिसेमिक इंडेक्स हैं और आहार रेशेयुक्त और उच्च एंटीऑक्सिडेंट्स वाले हैं।
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