Wednesday, 6 December 2017

दिव्यांगता : विकलांगता का सामाजिक मॉडल

'दिव्यांगता' विकलांगता के सामाजिक मॉडल के उस सिद्धांत पर आधारित है जिसमें किसी व्यक्ति की सीमाओं और अक्षमताओं के कारण नहीं बल्कि सामाजिक व्यवस्था के तरीके के कारण विकलांगता का जन्म होना माना जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग (विकलांग) दिवस:

'अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस' प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा 'विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष' के रुप में वर्ष 1981 को घोषित किया गया था। सयुंक्त राष्ट्र द्वारा 1983-92 को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग (दिव्यांगजन) दशक घोषित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा' विकलांग लोगों के अधिकारों पर कन्वेंशन' को वर्ष 2006 में अपनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 03 दिसंबर, 2017 का विषय (थीम) था - ट्रांसफॉर्मेशन टुवर्ड्स सस्टेनेबल एंड रेसिलिएंट सोसाइटी फॉर ऑल।

दिव्यांगता प्रायः जन्म से, परिस्थितिजन्य अथवा दुर्घटना के कारण होती है। सर्वविदित है कि समाज में दिव्यांगजन की स्थिति चुनौतीपूर्ण होती है। दिव्यांगता के कारण जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यदि दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो व्यक्ति इस कठिनाई पर विजय प्राप्त कर सकता है।

यह निर्विवाद सत्य है कि प्रत्येक दिव्यांगजन में किसी न किसी प्रकार की विशेष प्रतिभा विद्यमान होती है। आवश्यकता होती है कि उनकी इच्छा शक्ति को जागृत कर उनके आत्मविश्वास को दृढ़ करते हुए उनकी प्रतिभा को विकसित कर उनको आत्मनिर्भर बनाया जाए, जिससे वह सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।

अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस और भारत:

अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर विभिन स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अनेक गोष्ठियों व कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा विशिष्ट प्रतिभा के धनी दिव्यांगजन, उनके सेवायोजकों एवं दिव्यांगजन के हितार्थ कार्य करने वाले व्यक्ति विशेष एवं संस्थाओं को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाता है। 

(1) दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में किए गए उत्कृष्ट कार्यो और उपलब्धियों के लिए वर्ष 2013 से "दिव्यांगजन सशक्तीकरण के राष्ट्रीय पुरस्कार" प्रदान किए जाते हैं।
यह समारोह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंर्तगत दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है।
(2) 2011 की जनसंख्या के अनुसार भारत में 2.68 करोड़ से अधिक दिव्यांगजन हैं, जो कुल जनसंख्या के 2.2 प्रतिशत से अधिक हैं।
(3) दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक नये विभाग का शुभारंभ वर्ष 2012 में किया गया।
(4) दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए कई नई योजनाएं और कार्यक्रमों की भी शुरूआत की गई है जिनमें वर्ष 2015 में शुरू की गया "सुगम्य भारत अभियान" एक प्रमुख कार्यक्रम है।
(5) सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 'दिव्यांग सारथी' मोबाइल एप की शुरुआत की। इसके माध्यम से दिव्यांगजनों को आसानी से जानकारियाँ मिल सकेंगी। इस मोबाइल एप को यूनिवर्सल एक्सेस के यूएनसीआरपीडी के सिद्धांतों और दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अनुरूप तैयार किया गया है।
(5) दिव्यांग व्यक्तियों के लिए दुनिया का  पहला आईटी परिसर हैदराबाद (तेलंगाना)
में बनेगा।

सुगम्य भारत अभियान:

3 दिसम्बर, 2015 को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया सुगम्य भारत अभियान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग का राष्ट्रव्यापी अभियान है। इस अभियान का उद्देश्य देशभर में दिव्यांगजनों के लिये बाधारहित और सुखद वातावरण तैयार करना है। यह अभियान विकलांगता के सामाजिक मॉडल के उस सिद्धांत पर आधारित है कि किसी व्यक्ति की सीमाओं और अक्षमताओं के कारण नहीं बल्कि सामाजिक व्यवस्था के तरीके के कारण विकलांगता है।
बाधारहित वातावरण से दिव्यांगजनों के लिये सभी गतिविधियों में समान प्रतिभागिता की सुविधा होती है और इससे स्वतंत्र और सम्मानजनक तरीके से जीवन जीने के लिये उन्हें  प्रोत्साहन मिलता है। इस अभियान में एक समावेशी समाज बनाने का दृष्टिकोण है जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों की प्रगति और विकास के लिये समान अवसर उपलब्ध हों ताकि वे उत्पादक, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

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