गुरुवार 18 जनवरी की सुबह भारत ने ओडिशा के समुद्री तट के नज़दीक मौजूद अब्दुल कलाम द्वीप से लंबी दूरी वाली अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। भारत में बना ज़मीन से ज़मीन तक मार कर सकने वाला ये मिसाइल पांच हज़ार किलोमीटर के रेंज तक किसी लक्ष्य को नष्ट कर सकता है।
गुरुवार को किया गया ये परीक्षण इस मिसाइल का पांचवा परीक्षण था। इसे तीसरी बार लगातार रोड मोबाइल लॉन्चर से छोड़ा गया था। इस मिसाइल के सभी पांचों परीक्षण सफल रहे हैं।
अग्नि-5 इस सिरीज़ की सबसे आधुनिक मिसाइल है, क्योंकि नेविगेशन, गाइडेंस, वॉरहेड और इंजन, सभी के मोर्चे पर ये अपने पुराने साथियों से बेहतर बताई जाती है।
डीआरडीओ का कहना है कि मिसाइल को इस तरह प्रोग्राम किया जा सकता है कि अपने रास्ते के चरम तक पहुंचने के बाद ये फिर पृथ्वी की तरफ़ मुड़ सकती है और उसके गुरुत्वाकर्षण बल से मदद लेते हुए अपने लक्ष्य की तरफ़ ज़्यादा रफ़्तार से बढ़ने में सक्षम है। अग्नि-5 का पहला टेस्ट साल 2012 के अप्रैल महीने में किया गया था जबकि दूसरा साल 2013 के सितंबर में।
अग्नि सिरीज़ मिसाइलों की बात करें तो अग्नि-1 700 किलोमीटर, अग्नि-2 दो हज़ार किलोमीटर, अग्नि 3 और 4 ढाई हज़ार से 3.5 हज़ार किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखती है।
गुरुवार को हुई टेस्टिंग के बाद भारत अमरीका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे मुल्क़ों की कतार में खड़ा हो गया है क्योंकि ये सभी वो देश हैं जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइलें रखते हैं।
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार ये मिसाइल चीन के उत्तरी इलाकों तक आसानी से पहुंचने का दावा किया जा रहा है लेकिन चीन के जानकारों ने अग्नि-5 की मारक क्षमता को लेकर शंकाएं भी जताई हैं। शांघाई एकैडमी ऑफ़ सोशल साइंसेस के इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल रिलेशन्स में काम कर रहे रिसर्च फेलो हू ज़ियोन्ग के अनुसार, "देखा जाए तो ये मिसाइल बीजिंग तक पहुंच सकता है लेकिन भारत की मिसाइल तकनीक औसत दर्ज के कहीं नीचे है."
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