Monday, 22 January 2018

मैग्नेटिक लेविटेशन टेक्नालजी (चुंबकीय उत्तोलन तकनीक) और वैक्यूम ट्यूब में हाइपरलूप मैग्लेव ट्रेन

टेस्ला कंपनी के सहसंस्थापक इलोन मस्क ने पहली बार हाइपरलूप का आइडिया दिया था।
फिर इससे जुड़ी कई परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ और दुनिया ने देखा कि मैग्नेटिक लेविटेशन टेक्नालजी (चुंबकीय उत्तोलन तकनीक) के सहारे एक वैक्यूम ट्यूब में ट्रेन चलाई जा सकती है और आने वाले कल की ये एक क्रांतिकारी परिवहन व्यवस्था होगी।

मैग्नेटिक लेविटेशन ट्रेन:
माग्लेव या मैग्नेटिक लेविटेशन ट्रेनों के विकास पर पहले से काम चल रहा है। इसमें चुंबक के सहारे ट्रेन अपने ट्रैक के ऊपर से चलती है। इससे दोनों के बीच रगड़ कम हो जाती है और रफ़्तार बढ़ जाती है। ऐसी ही एक ट्रेन शंघाई से उसके एयरपोर्ट के बीच 430 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चलती है। लेकिन अब माग्लेव या मैग्नेटिक लेविटेशन ट्रेन को एक वैक्यूम ट्यूब में रखकर चलाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसका नाम 'हाइपरलूप वन' है।

वर्जिन हाइपरलूप वन ने सर रिचर्ड ब्रैंसन को दिसंबर में अपना चेयरमैन नियुक्त किया था।
सर रिचर्ड ब्रैंसन की वर्जिन हाइपरलूप वन इस लिहाज से मैग्नेटिक लेविटेशन ट्रेनों में से सबसे आधुनिक है। लास वेगास (अमेरिका) से 40 मील उत्तर में मौजूद रेगिस्तान में पहुंचकर आप इस महंगी परियोजना पर चल रहे काम का जायज़ा ले सकते हैं। प्रयोग के लिए 500 मीटर लंबा टेस्ट ट्रैक तैयार किया गया है। 300 लोगों की टीम इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है जिनमें 200 काबिल इंजीनियरों का दल है। हाइपरलूप वन ने अभी तक कई प्रयोग किए हैं और ट्यूब में पॉड की रफ्तार को 378 किलोमीटर प्रति घंटे की चाल तक ले जाने में कामयाबी पाई है। हालांकि अभी तक पॉड में किसी को बिठाया नहीं गया है।

अंतरिक्ष वैज्ञानिक अनीता सेनगुप्ता इंजीनियरों की इस टीम का नेतृत्व कर रही हैं।
अनीता सेनगुप्ता नासा के मार्स क्यूरोसिटी रोवर प्रोजेक्ट को डेवलप करने में मदद दे चुकी हैं। वे दूसरे ग्रहों पर किसी गाड़ी को उतारने की 'इंजीनियरिंग संबंधी चुनौतियों' की बात करते हुए इस प्रोजेक्ट के हकीक़त में बदलने से जुड़े संदेहों को खारिज कर देती हैं।

वैक्यूम ट्यूब:
अनीता बताती हैं कि मैग्नेटिक लेविटेशन टेक्नॉलॉजी पहले ही साबित की जा चुकी है और वो इस संदेह को दरकिनार करती हैं कि लोग इस पर चढ़ने से घबराएंगे।
वैक्यूम ट्यूब में हवा के दबाव पर अनीता कहती हैं, "हाइपरलूप एक मैग्लेव ट्रेन है जो वैक्यूम ट्यूब में चलेगी। आप इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि एक विमान दो लाख फ़िट की ऊंचाई पर चल रहा हो। लोगों को हवाई जहाज में यात्रा करने में कोई दिक्कत नहीं होती है और लोगों को मैग्लेव ट्रेनों में भी यात्रा करने पर एतराज़ नहीं होगा।"
अनीता का कहना है कि हाइपरलूप वन प्रोजेक्टर सुरक्षा टेस्ट पास कर जाएगा और साल 2021 तक व्यावसायिक रूप से इसका ऑपरेशन शुरू हो जाएगा।

भविष्य में हाइपरलूप:
हाइपरलूप वन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉब लॉयड की दिलचस्पी इस बारे में है कि भविष्य में हाइपरलूप के यात्रियों को दूसरे परिवहन साधनों से कैसे जोड़ा जाएगा। ऐसी ही एक परियोजना जो लंदन को बर्मिंघम से जोड़ती है, पर काम चल रहा है।
रॉब लॉयड के अनुसार वे गैटविक और हीथ्रो के बीच एक हाइपरलूप लाइन बनाएंगे और इससे दोनों हवाई अड्डों के बीच चार मिनट का फासला रह जाएगा। आज हीथ्रो एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 से टर्मिनल-5 के बीच आने-जाने में इससे ज्यादा समय लगता है।

कल्पना कीजिए कि आप एक कैप्सूल में बैठे हों और वो एक वैक्यूम ट्यूब में 1,123 किलोमीटर प्रति घंटे की चाल से चल रही हो। आप घंटों के बजाय कुछ मिनटों में अपनी मंज़िल पर पहुंच जाते हैं।

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