राष्ट्रीय कृषि नीति 2000
कृषि व संबद्ध क्षेत्र को आर्थिक उदारीकरण एंव भूमंडलीकरण की नवीन अवधारणा के अनुरुप ढालने और इनसे उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 28 जुलाई, 2000 को राष्ट्रीय कृषि नीति घोषित की गई । अगले दो दशकों (2020) के लिए निर्धारित राष्ट्रीय कृषि नीति के सर्वप्रमुख लक्ष्यों में तकनीकी, पर्यावरणीय तथा आर्थिक रुप से धारणीय कृषि व संबद्ध क्षेत्र में 4 प्रतिशत से अधिक वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करना था।
मूल्यांकन
वर्ष 2001- 02 में कुल खाद्यान्न उत्पादन लगभग 211.9 मिलियन टन था जो वर्ष 2013- 14 में बढ़कर 265 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। तदापि भारतीय कृषि में कुछ विसंगतियां भी देखी जा रही हैं। यह अन्न केन्द्रित, क्षेत्रीय रूप से असंतुलित और निवेश आधारित हो गयी है। कृषि में भूमि, जल और उर्वरक का अत्यधिक मात्रा में अवैज्ञानिक उपयोग निरंतर बढ़ रहा है।
भारतीय कृषि की प्रमुख चुनौती कम उत्पादकता है। वर्ष 2013 के आंकड़ों के अनुसार भारत की औसत खाद्यान्न उत्पादकता संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कनाडा, ब्राजील तथा बांग्लादेश से कम रही। उदाहरणस्वरूप भारत में गेंहूँ और चावल की औसत उपज चीन से क्रमशः 39 प्रतिशत और 46 प्रतिशत कम है।
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