Thursday, 3 August 2017

समुद्र मेंं बढ़ता प्लास्टिक मलबा

पहले यह समझा जाता था कि समुद्री कचरा सिर्फ उत्तरी प्रशांत महासागर में है, लेकिन अब वह दक्षिणी प्रशांत, आर्किटक और भूमध्य इलाकों में भी दिखने लगा है। दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में 9,65,000 वर्ग मील तक सिर्फ प्लास्टिक का मलबा फैला हुआ है।

प्लास्टिक मलबे से समुद्री जीवन पर बुरा असर पड़ता है। गहरे समुद्र में पाई जाने वाली लैंटर्न मछली, बड़ी व्हेल और पेंग्विन का भोजन होती है। लैंटर्न द्वारा प्लास्टिक कचरा खाने से बड़ी मछलियों के जीवन पर भी उसका असर देखने को मिलता है। कई इलाकों से ऐसी मछलियां देखी गयी हैं जिनके शरीर के भीतर प्राकृतिक खाने से ज्यादा प्लास्टिक कचड़ा भरा हुआ था।

समुद्र में सबसे ज़्यादा प्लास्टिक मैदानी इलाकों से पहुंचता है, प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े हवा में उड़कर समुद्र में आ गिरते हैं और धीरे-धीरे अपना आकार बड़ा बना लेते हैं। उत्तरी प्रशांत महासागर क्षेत्र मेंं फैलते प्लास्टिक मलबे का यह एक मुख्य कारण रहा है। दक्षिणी प्रशांत में पाया जाने वाला प्लास्टिक मलबा उत्तरी गोलार्ध से अलग है। यहां पर ज़्यादातर प्लास्टिक फिशिंग इंडस्ट्री से आया है।

समुद्र के बीच जाकर प्लास्टिक मलबे के बारे में पता करने से पहले समुद्री किनारों पर बढ़ते कचरे को कम करने पर विचार करना चाहिए क्योंकि सबसे अधिक कचरा यहीं बढ़ रहा है।
प्लास्टिक प्रदूषण की कोई राष्ट्रीय सीमा नहीं है, इसलिए सभी देशों को मिलकर इस पर विचार करना चाहिए।

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