बाघों के संरक्षण के संबंध में भारत की स्थिति:
बेंगलुरु के नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) और देहरादून के भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) सहित पांच संस्थानों के वैज्ञानिकों ने भारत के बाघों में आनुवांशिक विविधता का अध्ययन किया।
हालांकि पहले के अध्ययन में बाघ जीनोम के लगभग 12 क्षेत्रों की जांच हुई थी, लेकिन इस दल ने 10,184 सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलिमॉर्फ़िज्म (एसएनपी) का विश्लेषण किया, जोकि भारत के 17 संरक्षित क्षेत्रों के माध्यम से पोस्ट मार्टम के दौरान प्राप्त 38 जंगली बाघों के ऊतकों के जीनोम में कई सारे छोटे प्रकार के बदलाव हैं।
1. बाघ संरक्षण में भारत का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। दुनिया के लगभग 60% जंगली बाघ यहां पाए जाते हैं। शिकार और आवास के नुकसान के अलावा, समूह से विखंडन/विघटन भारत के बाघों के सामने एक बड़ा खतरा है।
2. यह सिर्फ बाघ संख्या नहीं है जोकि महत्वपूर्ण है, बल्कि बाघों के संरक्षण के अन्य उपायों का किया जाना भी आवश्यक है।
3. बाघों की आबादी का वर्तमान में सम्पर्क एक दूसरे से अत्यधिक कम हो गया है और उनके आनुवांशिक प्रोफाइल यह दर्शाते हैं। छोटे समूह में रह रही बाघों की पृथक आबादी आनुवंशिक रूप से कम विविध है जबकि बड़े समूह में रह रहे और एक दूसरे से आपस में जुड़े हुए बाघ आनुवंशिक रूप से ज्यादा विविध (अलग-अलग आबादी के आपस में मिलने के कारण) हैं। विकास के लिए आनुवांशिक विविधता महत्वपूर्ण है और कम आनुवंशिक विविधता आबादी के अस्तित्व को खतरा दे सकती है।
4. आनुवांशिक विविधता बनाए रखने में आवास सम्पर्क महत्वपूर्ण भूमिका सकता है और इस प्रकार से, भारत की तीन बाघ जनसख्याओं का बेहतर संरक्षण हो सकता है।
5. इसलिए शोधकर्ताओं का मानना है कि बाघों को भविष्य में एक दूसरे से जुड़ी हुयी आबादी की आवश्यकता होगी। अतः बाघों के गलियारे आनुवंशिक विविधता बनाए रखने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
6. तीन वंशावलियाँ:
शोधकर्ता पाते हैं कि आनुवंशिक रूप से, भारत के बाघों में तीन अलग-अलग प्रकार की आबादी होती है:
(1) उत्तरपश्चिम क्लस्टर (केवल रणथम्भौर बाघों को मिलाकर)
(2) दक्षिणी (दक्षिण भारत)
(3) केंद्रीय (तराई, उत्तर-पूर्व और मध्य भारत के बाघों में शामिल)।
7. पृथक तौर पर बसे रणथंभौर के बाघों की जनसंख्या में सबसे कम आनुवंशिक विविधता थी, जबकि केन्द्रीय समूह - जोकि सबसे अधिक जुड़ा हुआ है - उच्चतम आनुवंशिक विविधता को दर्शा रहा था।
8. राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिज़र्व में बाघ की पृथक आबादी अत्यंत आवश्यक रूप में तुरंत संरक्षण की मांग की करती है, क्यूंकि यह आंतरिक प्रजनन (अन्तः प्रजनन) के जोखिम पर है और अन्य आबादियों के साथ इसका संपर्क भी कम है।
Monday, 4 September 2017
भारत में बाघों का संरक्षण
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