ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में हुई दो दिवसीय बैठक में भारत को वासेनार अरेंजमेंट के 42वें सदस्य के तौर पर शामिल जाने पर सहमति बन गई है। वासेनार व्यवस्था एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है जिसमें 41 राष्ट्र भागीदार हैं।
इसका मकसद परंपरांगत हथियारों और दोहरे उपयोग वाले वस्तु और प्रौद्योगिकी के निर्यात पर नियंत्रण करना है। वासेनार में भारत को शामिल करने के लिए रूस, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका ने भारत का समर्थन किया। भारत को मिली इस सफलता से परमाणु अप्रसार को लेकर उसकी प्रतिबद्धता की प्रतिष्ठा और बढ़ गई है।
इस फैसले से भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और आस्ट्रेलिया समूह में दावेदारी और मज़बूत हो गई है। गौरतलब है कि पिछले साल जून में भारत को मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) की पूर्णकालिक सदस्यता दी गई थी।
अमेरिका के साथ परमाणु करार होने के बाद से लगातार भारत इसकी निर्यात नियंत्रण संस्था से जुड़ना चाह रहा है, जैसे- एनएसजी, एमटीसीआर, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप, वासेनार। ये सभी परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियार और प्रोद्यौगिकी को रेगुलेट करता है।
What is Wassenaar Arrangement?
The Wassenaar Arrangement is an elite club of countries which subscribe to arms export controls, similar to the Nuclear Suppliers Group and the Missile Technology Control Regime.
The body came into being in 1996 to succeed the Cold War-era Coordinating Committee for Multilateral Export Controls. The name comes from Wassenaar, a suburb of The Hague, where the agreement to start such a multi-lateral cooperation was reached in 1995.
Who are all members of the Wassenaar Arrangement?
The WA has 42 members, the latest entrant being India. With the exception of China, all the other permanent members of the U.N. Security Council are signatories of the WA, which is headquartered in Vienna.
How does the Wassenaar Arrangement work?
According to the WA website, the goal of the Arrangement is to "promote transparency and greater responsibility in transfers of conventional arms and dual-use goods and technologies". Participants are required to "ensure that transfers of these items do not contribute to the development or enhancement of military capabilities which undermine the goal". The aim, according to WA, is also to prevent the acquisition of these items by terrorists.
What are Wassenaar Control Lists
The Arrangement works according to what it calls WA Control Lists. The controls are subject to ratification by the participants. WA members agree to exchange information on sensitive dual-use goods and technologies and report on such transfers and denials of controlled items to non-participants.
What does this mean to India?
Since it’s a non-signatory of the Nuclear Non-Proliferation Treaty, India would look up to the WA membership to boost its credentials to enter NSG. Crucially, China, which stands in the way of India’s NSG entry, is not a member of WA.
Are there any catches?
Critics see WA simply as a Cold War instrument with a different name. According to them Arrangement perpetuates a digital divide by restricting western companies and governments from supplying crucial technologies to emerging markets. Computer scientists and policy analysts have also expressed concern about developed economies using less developed countries as Guinea Pigs for their cyber security research by supplying them with intrusive technologies that could be used for mass surveillance.
The Electronic Frontier Foundation, a digital rights group, has accused the United States of going for even narrower restrictions on technology transfer.
सामूहिक विनाश करने वाले हथियार (वेपन्स ऑफ़ मास डिस्ट्रक्शन) को नियंत्रित करने वाली संस्थाएं:
एनएसजी: नाभिकीय आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) बहुत से देशों का एक समूह है जो नाभिकीय निरस्त्रीकरण (nuclear disarmament) के लिये प्रयासरत है। इस कार्य के लिये यह समूह नाभिकीय शस्त्र बनाने योग्य सामग्री के निर्यात एवं पुनः हस्तान्तरण को नियन्त्रित करता है। वर्तमान समय में इसके 48 देश सदस्य हैं। भारत इसका सदस्य नहीं है। एनएसजी का गठन वर्ष 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण की प्रतिक्रिया स्वरूप किया गया था।
एमटीसीआर: मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम राष्ट्रों के मध्य एक अनौपचारिक राजनीतिक समझ है जो मिसाइल्स और मिसाइल तकनीक के प्रसार को सीमित करने की मंशा रखती है। इसका गठन 1987 में जी 7 देशों के द्वारा किया गया था। भारत एमटीसीआर का 35 वां सदस्य बना था।
ऑस्ट्रेलिया ग्रुप: ऑस्ट्रेलिया समूह विभिन्न देशों का एक अनौपचारिक समूह है (इसमें अब यूरोपीय आयोग भी शामिल गया है।) जिसकी स्थापना 1984 में इराक के द्वारा रासायनिक हथियारों के प्रयोग के बाद वर्ष 1985 में की गयी थी। इसका उद्देश्य सदस्य देशों को उन निर्यातों की पहचान करने में मदद करना है जिन्हे नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है ताकि रासायनिक और जैविक हथियारों के प्रसार को रोका जा सके।
यह समूह, प्रारम्भ में 15 सदस्यों से मिलकर बना था एवं सितंबर 1989 में ब्रसेल्स, बेल्जियम में इसकी पहली बैठक आयोजित की गयी थी। भारत अभी इसका सदस्य नहीं बना है। वर्तमान में इसके 42 सदस्य हैं।
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