भारतीय राजनीति में कालेधन पर रोक, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने एवं चुनावी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बांड स्कीम की अधिसूचना जारी की है। भारत पहला देश होगा जो चुनावी फंडिंग पारदर्शी बनाने के लिए इस तरह का बॉन्ड जारी करने जा रहा है।
अब इलेक्टोरल बांड के जारी होने के साथ, चंदा देने वाले दाता, विशिष्ट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के शाखाओं से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं, और राजनीतिक दल उसे प्राप्त करने के बाद एक नामित बैंक खाते के माध्यम से इस बांड को नकदी में बदल सकते हैं।
योजना से जुड़े प्रमुख तथ्य:
1. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 के भाषण में इलेक्टोरल बॉन्ड लाने की घोषणा की थी।
2. केवल वे राजनीतिक दल इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त करने के पात्र होंगे जो आरपीए अधिनियम (Representation of the Peoples Act), 1951 की धारा 29-ए के तहत पंजीकृत हैं, और पिछले आम चुनाव या विधान सभा के मतदान में कम से कम 1% वोटों को हासिल कर पाए हों।
3. भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ये बांड खरीदे जा सकते हैं।
4. इलेक्टोरल बॉन्ड एक प्रोमिसरी नोट (पी नोट्स) और एक ब्याज-मुक्त बैंकिंग उपकरण की प्रकृति में वाहक साधन होगा।
5. कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में स्थापित संस्था इसे खरीदने के हकदार होगा।
6. बांड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये कीमत के होंगे।
7. इलेक्टोरल बॉण्ड के खरीददार को सभी केवाईसी नियमों को पूरा करना होगा।
8. इलेक्टोरल बॉन्ड पर लेनदार या खरीददार का नाम नहीं होगा।
9. इलेक्टोरल बॉन्ड सिर्फ 15 दिन के लिए वैध होगा, जिसके दौरान इसे राजनीतिक दलों को दान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
10. इलेक्टोरल बॉण्ड योजना जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में 10 दिनों की अवधि के लिए खरीदने के लिए उपलब्ध होगी। आम चुनाव के वर्ष में बॉण्ड खरीदी की सुविधा 30 दिनों के लिये होगी।
11. बांड का कागजी स्वरूप खास सुरक्षा चिह्न के साथ जारी होगा, ताकि उसका कोई दुरुपयोग नहीं कर सके।
12. बांड पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड?
केन्द्र सरकार द्वारा बजट में दी गई जानकारी से पता चलता है कि प्रस्तावित इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल देश में पॉलिटिकल फंडिग के लिए किया जाएगा। दाता इस बांड को डिजीटल या चेक के माध्यम से भुगतान करके खरीद सकता है फिर, जो राजनीतिक दल जिसके लिए दाता ने दान किया है, इन बांडों को अपने बैंक खातों के माध्यम से नकद में वापस ले सकते हैं।
इसके ज़रिये पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी। एक ओर बैंक इससे अवगत होगा कि कोई चुनावी बॉण्ड किसने खरीदा और दूसरे, बॉण्ड खरीदने वाले को उसका उल्लेख अपनी बैलेंस शीट में भी करना होगा।
निष्कर्ष
इस बात पर संदेह है कि चुनावी बॉण्ड का प्रचलन राजनीति में कालेधन के इस्तेमाल को पूर्णतः रोक देगा, लेकिन काफी हद तक इस पर नियंत्रण संभव दिख रहा है। पिछले कुछ समय से कालेधन को खपाने के लिये फर्ज़ी राजनीतिक दलों का सहारा लिये जाने की बात भी सामने आई है, अतः चुनावी बॉण्ड की इस व्यवस्था के अतिरिक्त चुनाव आयोग को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।
The Union Government has announced details of electoral bonds for political funding that can be routed by donors to political parties. The electoral bonds scheme was announced in Union Budget 2017 with an aim for increasing transparency in political funding. It makes India first country in the world to have such unique bonds for electoral funding.
Details of electoral bonds;-
Electoral bonds will be bearer instrument in nature of promissory note and an interest-free banking instrument. These can be redeemed only through the registered accounts of a political party in a prescribed time frame. It aims at rooting out current system of largely anonymous cash donations made to political parties which lead to generation of black money in the economy.
Denominations: Electoral bonds can be purchased for any value in multiples of Rs.1,000, Rs.10,000, Rs.10 lakh, and Rs.1 crore from any of the specified branches of State Bank of India (SBI).
Purchasers: A citizen of India or a body incorporated in India will be eligible to purchase the bond. The purchaser is allowed to buy electoral bonds only on due fulfilment of all extant KYC norms and by making payment from a bank account. It will not carry the name of the payee.
Validity: It will have a life of 15 days during which they can be used to make donations to registered political parties. The bond can be encashed by an eligible political party only through a designated bank account with the authorised bank.
The electoral bonds will be available for purchase for a period of 10 days each in months of January, April, July and October with additional 30 days to be specified by Central government in year of general election so that this does not become a parallel currency.
Eligibility: Political parties that have secured not less than 1% of votes polled in last general election to Lok Sabha or Assembly can avail funding through this bonds.
Significance
According to Association for Democratic Reforms (ADR), most political parties use lax regime on donations to accept cash donations from anonymous sources. Nearly 70% of Rs. 11,300 crore in party funding over an 11-year period came from unknown sources. The electoral bonds will prompt donors to take banking route to donate, with their identity captured by the issuing authority.
No comments:
Post a Comment