Wednesday, 6 September 2017

राष्ट्रीय पोषण रणनीति National Nutrition Strategy

नीति आयोग ने राष्ट्रीय पोषण रणनीति जारी की:

पोषण (Nutrition) मानव विकास का आधार है।
यह संक्रमण संबंधित बीमारी, अपंगता और मृत्यु में कमी लाने के साथ जीवन पर्यन्त सीखने की क्षमता और उत्पादकता बढ़ाता है।
यह मानवीय विकास, गरीबी में कमी तथा आर्थकि विकास के लिये महत्वपूर्ण है।

नीति आयोग ने राष्ट्रीय विकास एजेंडा में इसे ऊपर रखने का सुझाव देते हुए 05 सितम्बर 2017 को राष्ट्रीय पोषण रणनीति पर एक रिपोर्ट जारी की।

हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन और पद्म श्री एच सुदर्शन ने नीति आयोग के चेयरमैन डा. राजीव कुमार तथा सदस्य विनोद पॉल के साथ मिलकर यह रिपोर्ट जारी की।

आयोग ने पोषण में निवेश की वकालत करते हुए कहा कि विश्व में निम्न और मध्यम आय वाले 40 देशों में पोषण में निवेश का लागत-लाभ अनुपात 16:1 है।

हाल में प्रकाशित राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वे एनएफएचएस-4 में पोषण के मामले में कुछ सुधार दिखता है। महिलाओं और बच्चों दोनों में अपर्याप्त पोषण की स्थिति बेहतर हुई है। हालांकि, भारत की आर्थकि वृद्धि वाले देशों के समरूप अन्य देशों से तुलना की जाए तो यह गिरावट काफी कम है।

नीति आयोग का मानना है कि बाल कुपोषण की वजह से देश को आय में 9 से 10 फीसदी तक नुकसान उठाना होता है। थिंक टैंक ने पोषण रणनीति मसौदे में ‘कुपोषण मुक्त भारत’ पर जोर दिया गया है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि राज्य स्थानीय जरूरतों के हिसाब से इस दिशा में योजना बनाएं।

National Nutrition Strategy:

The national nutrition strategy calls for convergence between four proximate determinants of nutrition - 1. uptake of health services,
2. food,
3. drinking water & sanitation
4. income & livelihoods.
It envisages Kuposhan Mukt Bharat (कुपोषण मुक्त भारत) – linked to Swachh Bharat and Swasth Bharat.

The strategy lays down a roadmap for effective action, among both implementers and practitioners, in achieving our nutrition objectives.

It enables states to make strategic choices, through decentralized planning and local innovation, with accountability for nutrition outcomes.

It also gives prominence to demand and community mobilisation as key determinant to address India’s nutritional needs to bring behavioural change efforts to generate demand for nutrition services.

Need:

In India, 20% of children under five years of age suffer from wasting due to acute under-nutrition.

It pays an income penalty of 9 to 10% due to workforce that was stunted during their childhood.

Currently, there is lack of real time measurement of nutritional determinants, which reduces capacity for targeted action among most vulnerable mothers and children.

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