Wednesday, 13 December 2017

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) वर्ल्ड इकोनोमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट 2018’ रिपोर्ट United Nations World Economic Situation & Prospects for 2018

रिपोर्ट से जुड़े प्रमुख तथ्य:

दक्षिण एशिया-

वर्ल्ड इकोनोमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट 2018’ रिपोर्ट जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (यूएन डीईएसए) ने कहा है कि कुल मिलाकर दक्षिण एशिया के लिए आर्थिक परिदृश्य बहुत अनुकूल नजर आ रहा है और उल्लेखनीय मध्यम अवधि की चुनौतियों के बावजूद अल्पावधि के लिए स्थिर है।

रिपोर्ट के अनुसार, आम लोगों की बेहतर मांग और अर्थव्यवस्था संबंधी मजबूत नीतियों के चलते आर्थिक हालात अच्छे हैं। इस क्षेत्र के कई देशों में मौद्रिक नीति उदार हैं और बुनियादी क्षेत्रों में निवेश पर खासा जोर दिया जा रहा है तथा बाहरी मांग बढ़ने से भी अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल रही है।

भारत-

जबर्दस्त निजी उपभोग, सार्वजनिक निवेश और नियोजित तरीके से चलाये जा रहे संरचनात्मक आर्थिक सुधारों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को रफ्तार मिल सकती है।

2018 में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत होगी जबकि 2019 में यह बढ़कर 7.4 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।

इस साल के शुरू में सुस्ती और नोटबंदी के असर के बावजूद अब संभावनाएं सकारात्मक हैं। सरकार आर्थिक सुधारों पर आगे बढ़ रही है। इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में भारत का राजकोषीय घाटा 3.2 तक रह जाएगा।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2018 में भारत में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी और 2019 में 4.8फीसदी होगी।

(रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मध्यम अवधि के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-आधारित (सीपीआई-आधारित) मुद्रास्फ़ीति का लक्ष्य 4 फीसदी का है। केंद्रीय बैंक ने अपनी 6 दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में अपनी दूसरी छमाही की मुद्रास्फीति की अनुमान सीमा को बढ़ाकर 4.3 से 4.7% कर दिया है।)

हालांकि भारत में निजी निवेश की धीमी रफ्तार चिंता का विषय है। वर्ष 2017 में जीडीपी के मुकाबले ग्रास फिक्स्ड कैपिटल निर्माण 30 फीसद रह गया जबकि यह आंकड़ा 2010 में 40 फीसद पर था। बैंकिंग व कॉरपोरेट क्षेत्र बैलेंस शीट में समस्याओं से जूझ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में कुल निवेश बढ़ाने के लिए बुनियादी क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश अत्यंत अहम है।

(संयुक्त राष्ट्र से पहले रेटिंग एजेंसी मूडीस और ब्रोकिंग हाउस गोल्डमैन सॉक्स ने भी भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती आने की संभावना जताई है।)

The United Nations World Economic Situation & Prospects for 2018:

In 2017, global economic growth reached 3 per cent—the highest growth rate since 2011 —and growth is expected to remain steady for the coming year.

The improved global economic situation provides an opportunity for countries to focus policy towards longer-term issues such as low carbon economic growth, reducing inequalities, economic diversification and eliminating deep-rooted barriers that hinder development.

As the World Economic Situation and Prospects 2018 demonstrates, current macroeconomic conditions offer policymakers greater scope to address some of the deep-rooted systemic issues and short-term thinking that continue to hamper progress towards the Sustainable Development Goals.
—António Guterres, UN Secretary-General

However, the recent improvements in growth remain unevenly distributed across countries and regions. Economic prospects for many commodity exporters remain particularly challenging. Negligible growth in per capita GDP is anticipated in several parts of Africa, Western Asia, and Latin America and the Caribbean. The impacted regions combined are home to 275 million people living in extreme poverty. Without sustained, economic growth, the chances of bringing that number to zero remain slim. To achieve the goals of eradicating poverty and creating decent jobs for all, it is essential to address the longer‑term structural issues that hold back a faster progress towards sustainable development.

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