इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ द्वारा जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत कराए गए विविध कार्यों की सहायता से गरीब परिवारों की आय में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त खेतों की कुल उत्पादकता में भी 32 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है।
29 राज्यों के 30 जिलों में 1160 ग्रामीण परिवारों को इस सर्वेक्षण के लिए चुना गया था। इस अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों के अनाज उत्पादन में 11.5 प्रतिशत और सब्जी के उत्पादन में 32.3 प्रतिशत की बढ़त हुई है। यह स्थिति मनरेगा के अंतर्गत कराए जाने वाले विविध कार्यों में गरीब परिवारों की भागीदारी सुनिश्चित करने के कारण हुई है।
प्रमुख तथ्य:
1. वॉटर टेबल बढ़ने की वजह से 78% घरों को लाभ हुआ है।
2. 66% परिवारों ने छोटे और सीमांत किसानों दोनों की सार्वजनिक और निजी भूमि में जल संरक्षण कार्यों के कारण चारे की उपलब्धता से लाभ की सूचना दी है।
3. खेत के तालाबों और कुओं जैसे विभिन्न जल संरक्षण कार्यों की वजह से गरीबों के जीवन में अत्यधिक सुखद अंतर आ रहा है।
4. पिछले कुछ वर्षों में राज्यों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कार्यान्वयन में सुधार के लिए गंभीर और ईमानदारी से प्रयास किए हैं।
5. वर्ष 2006 के बाद से तैयार की गयीं 2 करोड़ से ज्यादा संपत्तियों को पिछले दो वर्षों में जियो-टैग किया गया है।
6. 6.60 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों के आधार नंबर बैंक खाते से जुड़ गए हैं और लगभग 90% के पास आधार सीडिंग है।
7. इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से 97% मजदूरी का भुगतान किया जाता है
8. वर्ष 2014-15 में, 15 दिनों के भीतर उत्पन्न भुगतान 26.85% था। आज, समय पर भुगतान 85.23% है, जो मुआवजे, माप और समय-समय पर निधि अंतरण आदेशों की स्थापना के लिए एक उल्लेखनीय सुधार को दर्शाता है।
9. नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम (एनईएफएमएस) पहले से ही 23 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में पारदर्शी और समय पर भुगतान करने में मदद कर रहा है।
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