Thursday, 7 December 2017

फाइनैंशियल रैजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरैंस (एफआरडीआई) बिल Financial Resolution and Deposit Insurance Bill, 2017

विमुद्रीकरण के एक साल पूर्ण हो जाने के उपरांत केंद्र सरकार अब बैंकिंग सेक्टर में एक और नया कानून लाने जा रही है। केंद्र सरकार फाइनैंशियल रैजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरैंस बिल (एफआरडीआई) 2017 को आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश करने की तैयारी कर रही है।

इससे पहले इस बिल को केन्द्र सरकार ने मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया था और तब इसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास सुझाव के लिए भेज दिया गया था। अब एक बार फिर केन्द्र सरकार ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की सुझावों को देखते हुए नए बिल का प्रस्ताव संसद में पेश करेगी।

क्यों जरूरी है नया कानून?

केन्द्र सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे इस नए कानून से दोनों सरकारी और प्राइवेट बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां और अन्य वित्तीय संस्थाओं में दिवालियापन की समस्या से निपटने के लिए एक नया ढांचा तैयार किया जाएगा।

केन्द्र सरकार का दावा है कि यह कानून देश में बैंकिंग और इंसॉल्वेंसी कोड, सरकारी बैंकों के रीकैपिटलाइजेश प्लान और इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की मंजूरी के बाद फाइनेनशियल सेक्टर का एक लैंडमार्क रिफॉर्म होगा।

The Financial Resolution and Deposit Insurance Bill, 2017 (FRDI Bill), introduced in the Lok Sabha on August 10, 2017, is presently under the consideration of the Joint Committee of the Parliament. The Joint Committee is consulting all the stakeholders on the provisions of the FRDI Bill.

The provisions contained in the FRDI Bill, as introduced in the Parliament, do not modify present protections to the depositors adversely at all. They provide rather additional protections to the depositors in a more transparent manner.

The FRDI Bill is far more depositor friendly than many other jurisdictions, which provide for statutory bail-in, where consent of creditors / depositors is not required for bail-in.

The FRDI Bill does not propose in any way to limit the scope of powers for the Government to extend financing and resolution support to banks, including Public Sector Banks. The Government’s implicit guarantee for Public Sector Banks remains unaffected.

Indian Banks have adequate capital and are also under prudent regulation and supervision to ensure safety and soundness, as well as systemic stability. The existing laws ensure the integrity, security and safety of the banking system. In India, all possible steps and policy measures are taken to prevent the failure of banks and protection of interests of depositors (e.g. issue of directions / prompt corrective action measures, capital adequacy and prudential norms). The FRDI Bill will strengthen the system by adding a comprehensive resolution regime that will help ensure that, in the rare event of failure of a financial service provider, there is a system of quick, orderly and efficient resolution in favour of depositors.

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