अप्रैल 2015 में पांच साल की विदेश व्यापार नीति (एफटीपी)की घोषणा हुई थी, जिसमें भारतीय सेवाओं व वस्तुओं के निर्यात को 2020 तक 900 अरब अमेरिकी डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया था।
केन्द्र ने वर्ष 2015 से 2020 तक की विदेश व्यापार नीति की मध्यावधि समीक्षा जारी की, जिसमें देश से समान और सेवाओं का निर्यात बढ़ाने तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि पर जोर दिया गया है।
देश में नई कर व्यवस्था लागू होने से निर्यात क्षेत्र को बढावा देने में मदद मिलेगी। किसानों की आमदनी दुगनी करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच को साकार करने के लिए विदेश व्यापार नीति में कृषि निर्यात पर जोर दिया गया है।
प्रमुख तथ्य:
1. निर्यात में प्रोत्साहन के कारण पिछले 14 में से 13 महीने में बढ़त दर्ज हुई है।
2. एफटीपी का उद्देश्य एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट्स पर केंद्रित नीति के माध्यम से किसानों की इनकम में बढ़ोत्तरी को आसान बनाना है।
3. निर्यात प्रोत्साहन स्कीम्स को जारी रखते हुए उनमें सुधार करना।
4. ऐसे छोटे बिजनेस को 2 फीसदी का इनसेंटिव देना जिनमें रोजगार के ज्यादा अवसर हों।
5. ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप की समय सीमा को बढ़ाकर 24 महीने करना।
6. सालाना प्रोत्साहन राशि 34 प्रतिशत से बढ़कर 8,450 करोड़ रुपये हुई।
7. लाजिस्टिक क्षेत्र के एकीकृत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए नया लाजिस्टिक्स प्रकोष्ठ बनेगा।
विदेशी व्यापार नीति में कई बातों का ध्यान रखा गया है। इसमें निर्यातों को कैसे जीएसटी का पूरा लाभ मिले और निर्यात में आने वाली दिक्कतों को तुरंत दूर करने के लिए एक कार्यप्रणाली बनाने पर जोर दिया गया है।
इसके अलावा विदेश व्यापार में ईज ऑफ डूइंग से लेकर कृषि निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्राम इंडिया स्कीम (MEIS) में इनसेंटिव में 2 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। यह 2 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया है। इसके अलावा देश से होने वाले सर्विस एक्सपोर्ट पर भी 2 फीसदी का इनसेंटिव बढ़ाया गया है।
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