PM Narendra Modi commissions INS Kalveri, a stealthy 'tiger shark' named after Indian Navy's first submarine.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 दिसंबर 2017 को मुंबई में आयोजित एक समारोह में नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर देश के लोगों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने आईएनएस कलवरी को ‘मेक इन इंडिया’ का प्रमुख उदाहरण बताया।
उन्होंने इस पनडुब्बी को भारत और फ्रांस के बीच तेजी से बढ़ रही रणनीतिक साझेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि आईएनएस कलवरी से भारतीय नौसेना की शक्ति और सुदृढ़ होगी।
प्रमुख तथ्य:
आईएनएस कलवरी करीब दो दशकों में भारत को मिला पहला नया डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है। इससे नौसैना की ताकत बढ़ी है क्योंकि इस समय सेना के पास केवल 13 पारंपरिक सबमरीन हैं।
गहरे समंदर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर सबमरीन का नाम आईएनएस कलवरी रखा गया है।
यह स्कॉर्पिन श्रेणी की उन 6 पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी है, जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है।
फ्रांस के सहयोग से सबमरीन प्रॉजेक्ट-75 के अंतर्गत इसे बनाया गया है। इसका वजन 1565 टन है। अब दूसरी INS खाण्डेरी 2018 के मध्य में भारतीय नौसेना में शामिल होगी। जबकि तीसरी INS करंज 2019 की शुरुआत में मिलेगी।
यह 20 नॉट्स की स्पीड वाली सबमरीन SM-39 Exocet ऐंटी-शिप मिसाइल और टॉरपीडो से लैस है। स्टील्थ तकनीक के कारण यह चकमा देकर दुश्मन पर गाइडेड हथियारों से हमला करने में भी सक्षम है।
इसका काम दुश्मन के व्यापार और ऊर्जा मार्गों पर नजर रखना, अपने क्षेत्र को ब्लॉक करना और युद्धक उपकरणों की रक्षा करना है। जरूरत पड़ने पर दूर तक मार कर सकने की क्षमता के कारण इसके जरिए दुश्मन पर अटैक भी किया जा सकता है।
दिसंबर 1967 में भारत को पहला सबमरीन रूस से मिला था।
पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों से बढ़ती चुनौती को देखते हुए भारत को कम से कम 18 डीजल-इलेक्ट्रिक और 6 परमाणु न्यूक्लियर अटैक सबमरीन्स की जरूरत है। भारत के पास 1 परमाणु ऊर्जा से संचालित बलिस्टिक मिसाइल सबमरीन INS अरिहंत है, जो 750 किमी तक परमाणु मिसाइलें छोड़ सकता है।
एक ऐसी परमाणु संचालित अटैक सबमरीन INS चक्र भी भारत के पास है, जो नॉन-न्यूक्लियर क्रूज मिसाइलों से लैस है।
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