भारत के संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में राज्य के कर्तव्यों में पोषाहार के स्तर और जीवन-स्तर को को ऊंचा करना और लोकस्वास्थ्य को बेहतर करना शामिल करता है। परन्तु वर्तमान समय में दुनिया की सर्वाधिक तीव्र गति से विकसित हो रही भारतीय अर्थव्यव्स्था लोक स्वास्थ्य के मुद्दे पर बहुत पीछे है।
भारत में एक राष्ट्र स्तरीय स्वास्थय नीति का निर्माण बहुत जटिल कार्य है जिसका मुख्य कारण अल्प बजट आवंटन, भौगोलिक-सामाजिक-आर्थिक विषमता रहा है। ऐसे में 15 साल बाद नयी 'स्वास्थ्य नीति 2017' का आना एक स्वागतयोग्य कदम है।
Monday, 31 July 2017
ग्रामीण स्वास्थ्य
Sunday, 30 July 2017
सामाजिक सुरक्षा का प्रण
भारत का जननांकीय लाभांश अर्थात् बढ़ती हुई युवा आबादी भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने की क्षमता रखती है, परन्तु रोजगार के अभाव में यही जननांकीय लाभांश अर्थव्यवस्था के लिए जननांकीय बोझ बन सकता है।
जननांकीय लाभांश की इस बहस मेंं बढ़ती बुजुर्गों की आबादी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अनुमानतः 2026 तक भारत में बुजुर्गों की आबादी करीब 17.3 करोड़ हो जाएगी जिसका एक बहुत बड़ा हिस्सा गरीब, वंचित, महिला वर्ग, दिव्यांग और असंगठित क्षेत्र से आएगा। इस तबके को जीवनयापन के लिए वित्तीय सहायता के साथ साथ मनोवैज्ञानिक सहारे की भी जरूरत होगी।
सामाजिक सुरक्षा समाज के संवेदनशील वर्गों को सहायता देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 43 के अन्तर्गत लोकतांत्रिक सरकार की जिम्मेदारी है। इंदिरा गांधी वृध्दावस्था पेंशन योजना और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन जैसी योजनाएं वृध्दों की सामाजिक सुरक्षा का सुनिश्चित करती हैं।
सेवानिवृत्ति पश्चात सुनिश्चित पेंशन सरकारी नौकरियों के प्रति आकर्षण का मुख्य कारण रहा है, लेकिन निजी क्षेत्र में ऐसी कोई सुविधा नहीं थी। निजी क्षेत्र से सेवानिवृत्त लोगों के लिए उनकी बचत ही जीवन यापन का स्रोत है। और उनकी इसी बचत पर बच्चों की शिक्षा और बेटियों की शादी का बोझ पड़ता है जिससे उनके अपने दैनिक खर्चों और स्वास्थ्य इत्यादि पर खर्चने के लिए न के बराबर धन बचता है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना, अटल पेंशन योजना, स्वावलंबन योजना इत्यादि आरम्भ की हैं ताकि वृध्दावस्था में आय का एक न्यूनतम साधन बना रहे।
भारत में कृषि एक व्यवसाय के रूप में सदैव ही नुकसानदेह रही है जिसका कारण मानसून की अनिश्चितता, सिंचाई का अभाव तथा जैविकीय कारक रहे हैं।
Friday, 28 July 2017
विश्व हेपेटाइटिस दिवस: 28 जुलाई
हेपेटाइटिस दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिह्नित किए गए 8 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है।
हेपेटाइटिस संक्रामक बीमारियों का समूह है, जिसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई के रूप में जाना जाता है।
हेपेटाइटिस वायरस के काऱण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है। हेपेटाइटिस वायरस का संचरण संक्रमित रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में जाने से होता है।
विश्व जनसंख्या के एक तिहाई लोग (दो अरब से अधिक), हेपेटाइटिस वायरस से संक्रमित है।
हेपेटाइटिस से प्रत्येक वर्ष औसतन 14 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
राष्ट्रीय कृषि नीति
राष्ट्रीय कृषि नीति 2000
कृषि व संबद्ध क्षेत्र को आर्थिक उदारीकरण एंव भूमंडलीकरण की नवीन अवधारणा के अनुरुप ढालने और इनसे उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 28 जुलाई, 2000 को राष्ट्रीय कृषि नीति घोषित की गई । अगले दो दशकों (2020) के लिए निर्धारित राष्ट्रीय कृषि नीति के सर्वप्रमुख लक्ष्यों में तकनीकी, पर्यावरणीय तथा आर्थिक रुप से धारणीय कृषि व संबद्ध क्षेत्र में 4 प्रतिशत से अधिक वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करना था।
मूल्यांकन
वर्ष 2001- 02 में कुल खाद्यान्न उत्पादन लगभग 211.9 मिलियन टन था जो वर्ष 2013- 14 में बढ़कर 265 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। तदापि भारतीय कृषि में कुछ विसंगतियां भी देखी जा रही हैं। यह अन्न केन्द्रित, क्षेत्रीय रूप से असंतुलित और निवेश आधारित हो गयी है। कृषि में भूमि, जल और उर्वरक का अत्यधिक मात्रा में अवैज्ञानिक उपयोग निरंतर बढ़ रहा है।
भारतीय कृषि की प्रमुख चुनौती कम उत्पादकता है। वर्ष 2013 के आंकड़ों के अनुसार भारत की औसत खाद्यान्न उत्पादकता संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कनाडा, ब्राजील तथा बांग्लादेश से कम रही। उदाहरणस्वरूप भारत में गेंहूँ और चावल की औसत उपज चीन से क्रमशः 39 प्रतिशत और 46 प्रतिशत कम है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम:
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 भारत सरकार द्वारा अधिसूचित एक कानून है जिसके माध्यम से भारत सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में जनसाधारण को खाद्यान्न उपलब्ध हो सके। भारतीय संसद द्वारा पारित होने के उपरांत सरकार द्वारा 10 सितम्बर, 2013 को इसे अधिसूचित कर दिया गया।
भारत-चीन के मध्य डोकलाम विवाद
डोकलाम विवाद
चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण भारतीय सीमा से जुड़े 4,000 किलोमीटर के क्षेत्र में सड़क और रेल मार्ग स्थापित करने में प्रयासरत है।
सामरिक रूप से बेहद संवेदनशील
करीब 269 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैेला डोकलाम क्षेत्र भारत, भूटान और चीन की सीमा के पास स्थित है। भारत की मुख्यभूमि को उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ जोड़ने वाला सिलिगुड़ी गलियारा इससे ठीक नीचे मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वर्ष 1914 की मैकमोहन रेखा के अनुसार डोकलाम भूटान में है जबकि चीन इसे नहीं मानता। अतः यहां सड़क बनाने की चीन की कोशिशों का भूटान और भारत, दोनों ने ही विरोध किया।
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई)
भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा संचालित इस योजना के माध्यम से इस योजना को ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है।
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जैविक खेती कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की...