08 नवंबर 2017 को नोटबंदी यानि विमुद्रीकरण (डिमोनेटाइजेशन) को एक साल पूरा हो गया है। पिछले वर्ष 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात के आठ बजे देश के नाम अपने संबोधन में 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था।
लाभ अथवा हानि ?
कैशलेश ट्रांजैक्शन (Cashless Transaction) या डिजिटल लेन-देन में बढ़ोत्तरी -
देश के सबसे बड़े बैंक, एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी ने भारत को डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में अन्य देशों के मुकाबले तीन वर्ष आगे पहुंचा दिया है।
बाजार में चल रहे विभिन्न प्रकार के प्रीपेड उपकरण जैसे मोबाइल वॉलेट, पीपीआई कार्ड, पेपर वाउचर और मोबाइल बैंकिंग में भी एक साल पहले के मुकाबले 122 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
उल्लेखनीय है कि भारत की उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी और डिजिटल भुगतान रीढ़ की हड्डी है। नोटबंदी का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि डिजिटल लेन-देन बढ़ा।
आकंड़ों के मुताबिक, मार्च-अप्रैल 2017 में तकरीबन 156 करोड़ का डिजिटल लेन-देन हुआ। वित्त मंत्रालय की हालिया जारी रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल सितंबर के दौरान 1.24 लाख करोड़ रुपये के डिजिटल ट्रांजैक्शंस हुए हैं। रोजमर्रा के कामों में भी डिजिटल लेन-देन देखने को मिला।
कालेधन के खिलाफ लड़ाई, फर्जी कंपनियां (शेल कंपनियां) बंद हुईं -
नोटबंदी के बाद करीब 2.24 लाख ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया गया, जिन्होंने 2 साल से कोई भी कामकाज नहीं किया। साथ ही 3 लाख कंपनियों के निदेशकों को अयोग्य घोषित किया गया।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने शुरुआती जांच के आधार पर कुछ आंकड़े पेश किए हैं। मंत्रालय के मुताबिक 56 बैंकों से मिले डाटा के अनुसार 35000 कंपनियों के 58000 बैंक खातों में नोटबंदी के बाद 17 हजार करोड़ डिपॉजिट हुए और निकाले गए। इस दौरान सरकार ने कई शेल कंपनियों का पता लगाने की बात भी कही है।
नकली नोटों पर क्या रहा असर ?
अब तक मौजूदा रिकॉर्ड बताता है कि इस मोर्चे पर नोटबंदी सफल नहीं रही। इस साल आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 1000 रुपये के जितने बंद नोट वापस बैंकों में लौटे हैं, उसमें सिर्फ 0.0007 फीसदी ही नकली नोट थे। बंद 500 रुपये की नोट की बात करें, तो इसमें भी सिर्फ 0.002 फीसदी नकली नोट रहे।
वहीं, राष्ट्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक 2015 तक 400 करोड़ रुपए के नकली नोट सर्कुलेशन में थे। समीक्षकों का कहना है नोटबंदी नकली नोटों को बड़े स्तर पर पकड़ने में नाकामयाब रही।
बैंकों के पास अब सरप्लस फंड्स -
'जहां तक बैंकिंग सेक्टर का सवाल है तो हमारे लिए नोटबंदी पॉजिटिव स्टेप रहा। काफी पैसा फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम में आया। करंट अकाउंट और सेविंग सिस्टम डिपॉजिट में 250 से 300 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी हुई। ये बहुत बेहतर बात कही जा सकती है। बैंकिंग सेक्टर में जो डिपॉजिट्स आए उसकी वजह से बैंकों के पास अरबों रुपए का सरप्लस फंड आया।'
- एसबीआई चेयरमैन
फंड्स का फ्लो भी बढ़ा-
'नोटबंदी के बाद से फाइनेंशियल सेविंग्स को फॉर्मल करने में मदद मिली। इसके अलावा म्युचुअल फंड और इंश्योरेंस में फंड्स का फ्लो भी बढ़ा। नोटबंदी के बाद हमने देखा कि डिजिटाइजेशन की रफ्तार तेज हुई।'
- आईसीआई बैंक की चीफ एग्जीक्युटिव चंदा कोचर
देश की आर्थिक वृद्धि दर पर असर -
नोटबंदी की घोषणा के बाद की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई। पिछले साल इस दौरान यह 7.9 फीसदी पर थी। इसके बाद अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर और भी कम हुई और यह 5.7 फीसदी पर पहुंच गई। पिछले साल इस दौरान यह 7.1 फीसदी पर थी। हालांकि आर्थिक वृद्धि दर घटने के पीछे नोटबंदी के साथ ही जीएसटी को भी कुछ हद तक जिम्मेदार माना जा रहा है।
नक्सलवाद और आतंकवाद पर मार -
नोटबंदी को लागू करने के दौरान यह भी कहा गया था कि इससे आतंकवाद और नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगेगा। लेकिन सरकार के पास नोटबंदी के एक साल बाद भी ऐसा कोई पुख्ता डाटा नहीं है, जो ये बता सके कि इन गतिविधियों पर नोटबंदी की वजह से क्या असर पड़ा है।
लाखों हुए बेरोजगार, छोटे और मझोले उद्योगों पर नाकारात्मक असर, कृषि क्षेत्र पर पड़ा प्रभाव -
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी ने कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड के साथ मिलकर किए गए सर्वे के बाद अपनी रिपोर्ट में बताया कि नोटंबदी की वजह से कई लाख लोगों को नौकरी चली गई। नोटबंदी का नुकसान छोटे और मझोले उद्योगों पर भी देखने को मिला, खासकर उन पर जहां कैश में लेन-देन होता था।
इसकी वजह से रोजगार ठप्प पड़ गया और कई व्यापारियों को घर बैठना पड़ा। कृषि के क्षेत्र में नकदी में लेन-देन ज्यादातर नकदी में होता है और उस पर भी नोटबंदी का प्रभाव देखने को मिला। कई किसानों ने जगहों-जगहों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।
नोटबंदी के फायदे के लिए करना होगा इंतजार -
नोटबंदी को लेकर जहां कुछ अर्थशास्त्री सकारात्मक रुख रखते हैं, तो कई का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी कहा है कि नोटबंदी की वजह से लघु अवधि में इकोनॉमी को नुकसान जरूर पहुंचा है, लेकिन लंबी अवधि में इसका फायदा नजर आएगा। सुरजीत भल्ला कहते हैं कि नोटबंदी का असर देखने के लिए 6 महीने और इंतजार कर लें।
Here are some interesting facts on the multi-dimensional benefits of DEMONETISATION:
17.73 lakh suspicious cases identified that do not match the tax profile.
Deposits worth Rs 3.68 lakh crore under suspicion.
2.24 lakh shell companies faced the axe.
Stone-pelting incidents in Kashmir came down by 75% from the previous year.
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