1 अप्रैल 2018 को नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही बजट में घोषित लॉन्ग टर्म कैपिटेल गेन टैक्स सहित कई प्रस्ताव लागू हो गये। इसके अलावा 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स कम कर 25 प्रतिशत करने और ट्रांसपोर्ट अलाउंस-मेडिकल रीइंबर्समेंट के एवज में 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन समेत अन्य टैक्स प्रपोजल भी अमल में आ गए।
प्रमुख तथ्य:
साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए टैक्स से मुक्त ब्याज इनकम की सीमा पांच गुना बढ़ाकर 50, 000 रुपये सालाना कर दी गई है।
इसी तरह इनकम टैक्स कानून की धारा 80 डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर किए गए भुगतान और मेडिकल खर्च पर टैक्स कटौती की सीमा भी 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है।
वरिष्ठ नागरिक और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए गंभीर बीमारी के मामले में टैक्स छूट 1 अप्रैल से 1 लाख रुपये की गई है, जबकि अब तक यह क्रमश: 60,000 रुपये और 80,000 रुपये थी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अति धनाढ्यों पर 10 से 15 प्रतिशत तक सेस को बरकरार रखा। साथ ही टैक्स योग्य इनकम पर लगने वाले स्वास्थ्य और शिक्षा सेस 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया है। यह प्रस्ताव भी 1 अप्रैल से प्रभाव में आगया ।
ई-वे बिल:
देशभर में 01 अप्रैल से राज्यों के बीच 50 हजार से अधिक कीमत के माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल व्यवस्था लागू हो गयी। जीएसटी के तहत माल को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने को सुगम बनाने के लिए ई-वे बिल का प्रावधान किया गया है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन:
वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 14 साल के अंतराल के बाद शेयरों की बिक्री से 1 लाख रुपये से अधिक के कैपिटल गेन पर 10 प्रतिशत टैक्स (एलटीसीजी) लगाने का प्रस्ताव किया गया। फिलहाल एक साल के भीतर शेयर बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर 15 प्रतिशत टैक्स लगता है। हालांकि खरीद के एक साल बाद बेचे जाने से होने वाले पूंजी लाभ पर कोई कर नहीं देना होता है।
इनकम टैक्स, स्टैंडर्ड डिडक्शन:
इनकम टैक्स और स्लैब को जस का तस रखते हुए बजट में वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों के लिए 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्सन की व्यवस्था की गई है। यह कटौती ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्च के मामले में मौजूदा छूट के बदले दी गई है। स्टैंडर्ड डिडक्शन की व्यवस्था को 2006-07 से समाप्त कर दिया गया था।
फिलहाल 19,200 रुपये ट्रांसपोर्ट अलाउंस और 15,000 रुपये तक के मेडिकल खर्च पर कोई टैक्स नहीं लगता। इसे अब स्टैंडर्ड डिडक्शन में ही समाहित कर दिया गया है। स्वास्थ्य और शिक्षा सेस में वृद्धि को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन से टैक्स बचत काफी कम होने का अनुमान है।
कॉर्पोरेट टैक्स:
कॉर्पोरेट टैक्स के संदर्भ में बजट में 250 करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली कंपनियों के लिए टैक्स की दर कम कर 25 प्रतिशत किया गया है। इस बदलाव से पूरे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को लाभ होगा। वर्ष 2015 में जेटली ने चार साल में कंपनी कर को मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का वादा किया था।
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